दुःखों से भागने पर, दुःख कभी भी कम नहीं होते

दुःखों से भागने पर, दुःख कभी भी कम नहीं होते घर अपना त्यागने वाले सभी गौतम नहीं होते   रक़ीबों के करम से सर-बुलंदी हमने पाई है हबीबों से घिरे रहते तो हम फिर हम नहीं होते   तेरे आँसू हैं आँखों में, लबों पर है हँसी तेरी जो तू मुझमें नहीं होता, तो ये … Continue reading दुःखों से भागने पर, दुःख कभी भी कम नहीं होते